
रास नहीं आ रही भारतीय कुश्ती संघ में चल रही राजनिति
खेल मंत्रालय द्वारा बनाई गई ओवरसाइट कमेटी पर रेसलरों ने जताई नाराजगी। एकतरफा फैसले और अपनों का साथ देने का लगाया आरोप
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
दिल्ली – भारतीय कुश्ती संघ – WFI के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण के आरोप लगाने वाले रेसलरों ने अब केंद्रीय खेल मंत्रालय की ओर से बनाई गई ओवरसाइट कमेटी पर सवाल उठाए हैं। WFI अध्यक्ष के खिलाफ दिल्ली में धरना देने वाले पहलवानों की अगुवाई करने वाली रेसलर विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक ने मंगलवार दोपहर ट्वीट कर इस बारे में अपनी आपत्ति जताई है। विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने दोपहर 3.40 बजे एक साथ ट्वीट किए जबकि साक्षी ने 3.45 बजे ट्वीट किया, खास बाट यह है कि तीनों पहलवानों ने एक ही मैसेज ट्वीट किया है।
तीनों पहलवानों ने लिखा है कि हमें आश्वासन दिया गया था कि ओवरसाइट कमेटी के गठन से पहले हमसे परामर्श किया जाएगा। बड़े दुख की बात है कि इस कमेटी के गठन से पहले हमसे राय भी नहीं ली गई। तीनों ही रेसलरों ने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर को टैग भी किया।
हालांकि इस मामले की जांच शुरू होने के बाद खिलाड़ियों ने मीडिया से किनारा कर रखा है। विनेश ने सोमवार को ही डेढ़ घंटे में 2 ट्वीट किए। पहले ट्वीट में विनेश ने लिखा सत्य को परेशान किया जा सकता है, लेकिन पराजित नहीं। इसके बाद उनका दूसरा ट्वीट आया मुकाम बड़ा हो तो हौसलों में बुलंदी रखना।
इसको लेकर यूजर्स भी उनका हौसला बढ़ा रहे हैं। यूजर्स लिख रहे हैं, विनेश, आप आयरन लेडी हो, जीत अवश्य ही मिलेगी। वहीं कुछ यूजर ने लिखा कि सत्य आरोप लगाकर सबूत भी देता है। आपको सबूत देने के साथ आरोपी के खिलाफ FIR भी करवानी चाहिए थी।
वहीं बजरंग पुनिया ने भी एक ट्वीट कर अर्जुन अवार्ड विजेता कुश्ती कोच कृपाशंकर बिश्नोई के आरोपों का समर्थन किया है। जिसमें कोच ने कहा है कि कुश्ती में कई गड़बड़ियां हैं, उन्होंने भी शिकायत की थी, मगर सुनवाई नहीं हुई।
उन्होंने 17 दिसंबर 2022 को भारतीय कुश्ती संघ को मेल के जरिए 28 ऐसे रेफरी की नाम सहित जानकारी दी थी, जो नौसीखिए हैं। उन्होंने कुश्ती के नए नियमों पर भी सवाल खड़े किए थे। लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया। नियमों को लेकर उन्होंने जब आपत्ति दर्ज करवाई तो उन्हें हटा दिया गया था।
उन्होंने कहा कि यहां चहेतों को फायदा पहुंचाया जा रहा है। खिलाड़ियों का तो लंबा-चौड़ा नुकसान हो चुका है। क्योंकि फेडरेशन के सहायक सचिव विनोद तोमर चेहरा देखकर तय करते हैं कि आपकी उम्र क्या है? वे जन्म प्रमाण पत्र को नहीं मानते। 3-4 साल पहले ही जन्म प्रमाण पत्र का नियम लागू हुआ है। कोई खिलाड़ी इसे बनवाकर लाता है तो इसे गलत माना जाता है।