
देश के पांच राज्यों में डाक विभाग का बड़ा घोटाला, बंद और निष्क्रिय खातों से 95 करोड़ की हेराफेरी
डिजिटलिकरण के दौरान अधिकारीयों और कर्मचारियों की मिलीभगत से हुआ फर्जीवाड़ा। ईडी और सीबीआई को मिली जांच की जिम्मेदारी
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई – डिजिटल इंडिया के नाम पर हर सेक्टर में हो रहे घोटालों फिर चाहे वाह बैंक हो, ऑनलइन ट्रांजक्शन हो के बाद अब देश की पोस्ट ऑफिस में भी बड़े घोटाले की बात सामने आई है। देश के कई राज्यों के डाक विभागों में हजारों बंद पड़े खातों से 95 करोड़ रुपए की विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा धोखाधड़ी की सच्चाई खुलासा हुआ है। डाक विभाग में करीब ढाई करोड़ बचत खाते इनएक्टिव हो चुके हैं या न्यूनतम रकम न रखने के कारण बंद कर दिए गए हैं। इन्हीं खातों में जमा रकम को लेकर जांच में डाक विभाग को अलर्ट करते हुए कहा गया है कि बंद खातों में जमा रकम में फ्रॉड हुआ है।
पिछले महीने सामने आई कैग की इस रिपोर्ट के बाद डाक विभाग जांच करा रहा है, जिसमें 14.39 करोड़ की रिकवरी की गई है। इसमें भी करीब 40 लाख रुपए पेनाल्टी और ब्याज का है। अभी 81.64 करोड़ की रिकवरी नहीं हाे पाई है। देश में 23 डाक सर्किल हैं। इनमें करीब ढाई करोड़ बंद या निष्क्रिय खातों में से करीब 70 हजार खातों का दिसंबर 2021 तक सेटलमेंट किया गया, जिसमें करीब 123 करोड़ रुपए शामिल हैं।
पोस्टल स्टाफ ने बंद खातों को लाइव एकाउंट में दिखाया और फेक बैलेंस भरकर फिर से खाते बंद कर दिए। इस तरह पश्चिम बंगाल, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के डाकघर के जमा खाताें से 62 करोड़ रुपए की हेराफेरी की गई।
डाक सर्किल पंजाब, ओडिशा, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में फर्जी खाते खोल कर फर्जी एंट्री की गईं और इन खातों से 15.98 करोड़ रुपए निकाले गए। 8 सर्किलों में पोस्टल स्टाफ ने नकदी जमा करने आए ग्राहकों के खातों में तो रकम दर्ज की, लेकिन उसे जमा नहीं कराया और 9.16 करोड़ रुपए डकारे।
2 सर्किलों में स्टाफ ने बाहरी लोगों से मिलीभगत कर खाते खुलवाए और उनमें 1.35 करोड रू का फर्जी जमा दिखाकर उसे निकाल लिया। 4 सर्किलों में स्टाफ ने ग्राहकों के बचत खातों से 4 करोड़ रु. फर्जी दस्तखत और नकली अंगूठे के निशान लगाकर निकाले। 4 सर्किलों में स्टाफ ने ग्राहकों की आईडी और पासवर्ड का नाजायज इस्तेमाल किया और 3 करोड़ रुपए की धांधली कर ली। साल 2013 में डिजिटलीकरण के दाैरान सबसे ज्यादा रकम निकाली गई। इसी संबंध में 6 राज्यों में ईडी और सीबीआई को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जांच में पता चला है कि बंद खातों से रकम निकलने का खेल 2013 में डिजिटलीकरण के समय तेज हो गया। तब डाकघरों के ‘संचय पोस्ट’ साॅफ्टवेयर का डेटा कोर बैंकिंग सोल्यूशन में ट्रांसफर किया गया था।