
भारत जोड़ने में लगी कांग्रेस, पार्टी के अंतर्कलह को सुलझाने में नाकाम
सार्वजनिक कार्यक्रम में फूटा सचिन पायलट समर्थकों का गुस्सा, गहलोत समर्थक मंत्री पर फेंके जूते
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई – राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस एक ओर जहां भारत जोड़ो यात्रा कर देश में एक बार फिर कांग्रेस को मजबूत और सत्ता में स्थापित करने की कवायद में जुटे हैं वहीं दूसरी ओर पार्टी के अंतर्कलह के चलते पार्टी लगातार टूटती नजर आ रही है। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट गुट के बीच का झगड़ा सोमवार शाम को एक बार फिर उजागर हो गया। घटना अजमेर के पुष्कर में गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के अस्थि विसर्जन के दौरान आयोजित सभा की है। गहलोत समर्थक खेल मंत्री अशोक चांदना जैसे ही भाषण देने मंच पर पहुंचे, पायलट समर्थकों ने जूते-बोतलें फेंककर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और सचिन पायलट जिंदाबाद के नारे लगाए।
इस घटना के बाद मंत्री अशोक चांदना भड़क गए और उन्होंने ट्विटर पर धमकी भरे अंदाज में लिखा मुझ पर जूते फिंकवाकर सचिन पायलट यदि मुख्यमंत्री बाण जाते हैं, तो जल्दी बन जाएं, क्योंकि आज मेरा लड़ने का मन नहीं है। जिस दिन मैं लड़ने पर आ गया, फिर एक ही बचेगा और यह मैं चाहता नहीं हूं।
सचिन पायलट जिंदाबाद के नारे शुरुआत से ही लगने शुरू हो गए थे। उद्योग मंत्री शकुन्तला रावत भाषण देने आईं तो विरोध शुरू हो गया। उन्होंने करौली में कर्नल बैंसला के नाम पर कॉलेज खोलने की घोषणा की। समर्थकों ने उनको भाषण नहीं देने दिया। पायलट जिंदाबाद के नारे लगाए। फिर भी रावत ने भाषण दिया।
इसके बाद खेल राज्य मंत्री अशोक चांदना भाषण देने के लिए आए, तो समर्थकों ने जूते व अन्य सामान फेंक कर हंगामा खड़ा कर दिया। वे फिर से पायलट जिंदाबाद के नारे लगाने लगे। पुलिस व अन्य लोगों ने समर्थकों को शांत किया। चांदना को भाषण बीच में ही छोड़ना पड़ा। इसके बाद उन्होंने लगातार ट्वीट कर नाराजगी जताई।
हंगामे और जूते फेंकने के मामले में गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष विजय बैंसला ने कहा कि यह हादसा है, कम्युनिटी सेंटीमेंट्स नहीं। जो हुआ, वो एक कोने में बैठे कुछ लोगों ने किया। जिन्होंने जूते फेंके, उनके दो-चार जूते हमारे पास हैं, आकर ले जाएं। सचिन पायलट को लेकर नाराजगी थी कि वे नहीं आ पाए, वे बिजी रहे होंगे। लोग नहीं समझ पाए।
कार्यक्रम में दोनों पार्टियों के लोग थे। कोई विवाद नहीं था। समारोह में पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट नहीं पहुंच पाए। सतीश पूनिया भी मंच पर पहुंचे तो सचिन पायलट जिन्दाबाद के नारे लगे। इस दौरान कर्नल बैंसला जिंदाबाद के भी नारे लगातार लगते रहे। पायलट समर्थक नारे लगाते हुए मंच की तरफ बढ़े तो हंगामा शुरू हो गया।
गुर्जर आरक्षण आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला की अस्थियों का विसर्जन पुष्कर के 52 घाटों पर सोमवार शाम करीब चार बजे हुआ। सोमवार को सबसे पहले गुर्जर भवन में स्थापित कर्नल बैंसला की मूर्ति का अनावरण किया गया। इसके बाद सुबह 10 बजे से पुष्कर के मेला ग्राउंड में MBC समाज से जुड़े गुर्जर, रेबारी, राइका, देवासी, गड़रिया, बंजारा, गाडरी, गायरी, गाडोलिया लुहार की सभा हुई।
सभा स्थल पर गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष विजय बैंसला सहित अन्य लोगों ने व्यवस्थाएं सम्भालीं। सभा स्थल पर फूलों की वर्षा की गई। कर्नल बैंसला को श्रद्धांजलि देने भाजपा के साथ कांग्रेस के नेता-मंत्री भी पहुंचे थे।
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव का कार्यक्रम जारी होने के बाद से ही पायलट समर्थक विधायक और कार्यकर्ता सार्वजनिक मंचों पर विरोधी गुट के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहे हैं। जयपुर में सचिन के जन्मदिन पर हुए शक्ति प्रदर्शन में भी 20 से ज्यादा मंत्री-विधायक पहुंचे थे। कई विधायक उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग करते नजर आए थे।
दोनों गुटों के बीच बीते 15-20 दिन से जारी खटास ही सोमवार शाम को अजमेर के पुष्कर में देखने को मिली थी। पायलट समर्थकों ने महिला बाल विकास मंत्री ममता भूपेश के सामने पायलट के समर्थन में नारेबाजी की थी। हालांकि, पायलट ने कुछ दिन पहले समर्थकों से सब नेताओं का सम्मान करने की सीख देकर आगे से किसी की हूटिंग नहीं करने को कहा है। इस सीख के सीधे सियासी मायने हैं।
एक खास बात यह भी है कि पायलट ने कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद से ही चुप्पी साध रखी है। वहीं, गहलोत से जब अध्यक्ष बनने को लेकर बीते एक महीने में अलग-अलग मौकों पर सवाल किया तो वे इशारों में मना करते दिखे थे।