
सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार को नोटिस
प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के 2 नियमों पर रिव्यू करेगी सुप्रीम कोर्ट
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई – सुप्रीम कोर्ट प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट PMLA पर दिए गए अपने फैसले का रिव्यू करेगी। रिव्यू पिटीशन की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम काला धन और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के समर्थन में हैं, लेकिन हमें लगता है कि कुछ मुद्दों पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट के दो नियमों को लेकर केंद्र को नोटिस भेजा है।
मुख्य न्यायाधीश एन.वी.रमन्ना, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सी.टी. रविकुमार की बेंच ने मामले की सुनवाई की। यह सुनवाई ओपन कोर्ट में हुई, यानी इसमें मीडिया और आम लोगों को कोर्ट की कार्यवाही देखने के लिए शामिल होने दिया गया।
कोर्ट ने 27 जुलाई को PMLA के विभिन्न प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली 241 याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए इस एक्ट के तहत प्रवर्तन निदेशालय – ईडी को मिले गिरफ्तारी के अधिकार को बरकरार रखा था। तब कोर्ट ने कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग के तहत गिरफ्तारी मनमानी नहीं है। इसे लेकर कांग्रेस के सांसद कार्ति पी. चिदंबरम ने कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल की थी, जिस पर गुरुवार को सुनवाई की गई।
27 जुलाई को जस्टिस ए.एम. खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सी.टी. रविकुमार की बेंच ने विजय मदनलाल चौधरी v/s यूनियन ऑफ इंडिया केस और 240 याचिकाओं पर फैसला सुनाया था। इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम, महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी ईडी की गिरफ्तारी, जब्ती और जांच प्रक्रिया को चुनौती दी थी।
याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि PMLA के तहत गिरफ्तारी, जमानत, संपत्ति की जब्ती या कुर्की करने का अधिकार क्रिमिनल प्रोसीजर एक्ट के दायरे से बाहर है। दायर की गई याचिकाओं में मांग की गई थी कि PMLA के कई प्रावधान गैर संवैधानिक हैं, क्योंकि इनमें संज्ञेय अपराध की जांच और ट्रायल के बारे में पूरी प्रोसेस फॉलो नहीं की जाती है, इसलिए ईडी को जांच के समय Cr PC का पालन करना चाहिए। इस मामले में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी समेत कई वरिष्ठ वकीलों ने अपना पक्ष रखा है।