बिलकिस बानो केस मे गुनहगारों की रिहाई पर गुजरात सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

बिलकिस बानो केस मे गुनहगारों की रिहाई पर गुजरात सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

चीफ जस्टिस का निर्देश, दोषियों को भी पार्टी बनाया जाए। अगली सुनवाई 2 सप्ताह बाद

योगेश पाण्डेय – संवाददाता 

मुंबई – गुजरात में गोधरा कांड के बाद 3 मार्च 2002 को दंगे भड़क गए थे। दंगों के दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका में रंधिकपुर गांव में उग्र भीड़ बिलकिस बानो के घर में घुस गई। इन दंगाइयों ने बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और इतना ही नहीं उनके परिवार के 7 लोगों की बेरहमी से हत्या भी कर दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट में बिलकिस बानो रेप के आरोपियों की रिहाई के खिलाफ गुरुवार को सुनवाई की गई। CJI एन.वी. रमन्ना के सामने दोषियों के वकील ने जब यह दलील दी कि हम इस मामले में पार्टी नहीं हैं, याचिका हमारे खिलाफ लगाई गई है। इस पर CJI रमन्ना ने सवाल किया कि इन्हें पार्टी क्यों नहीं बनाया गया? अदालत ने इन लोगों को भी पार्टी बनाने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने दोषियों की रिहाई को लेकर गुजरात सरकार को भी नोटिस भेजा है। मामले की सुनवाई दो हफ्ते बाद की जाएगी।

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि गुजरात दंगों में बहुत लोगों की जान गई, दाहोद में भी ऐसा ही हुआ। बिलकिस बानो और शमीम बानो ने भागने की कोशिश की थी। शमीम ने बच्चे को जन्म दिया। लोगों ने जब इन दोनों को देखा तो कहा कि इन्हें मार डालो। 3 साल के बच्चे का सिर जमीन पर पटक कर उसकी हत्या कर दी गई। गर्भवती बिल्किस का रेप किया गया रिहाई के संदर्भ में क्या यह ज्यूडिशियल रिव्यू का आधार नहीं होना चाहिए।

मामले की सुनवाई में CJI रमन्ना के अलावा जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच करेगी। गुजरात सरकार के फैसले के खिलाफ माकपा सांसद सुभासिनी अली, पत्रकार रेवती लाल और प्रोफेसर रूप रेखा वर्मा ने याचिका लगाई थी। बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप और परिवार के 7 सदस्यों की हत्या के लिए उम्रकैद की सजा काट रहे 11 दोषियों को रिहा कर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट में बेंच के अन्य दो सदस्य, जस्टिस रस्तोगी और जस्टिस विक्रम नाथ उस बेंच का हिस्सा थे, जिसने मई 2022 में फैसला सुनाया था कि गुजरात सरकार के पास दोषियों को सजा में राहत देने का अधिकार है।

हादसे के समय बिलकिस की उम्र 21 साल थी और वह गर्भवती थी। दंगों में उसके परिवार के 6 सदस्य जान बचाकर भागने में कामयाब रहे। गैंगरेप के आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया था। जनवरी 2008 में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा दी थी। बंबई हाईकोर्ट ने आरोपियों की सजा को बरकरार रखा था।

आरोपियों को पहले मुंबई की आर्थर रोड जेल और इसके बाद नासिक जेल में रखा गया था। करीब 9 साल बाद सभी को गोधरा की सबजेल में भेज दिया था। इनमें से एक दोषी राधेश्याम ने सजा माफ करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी।

दोषियों की रिहाई के फैसले से बिलकिस बानो का परिवार जितना हैरत में है, उतना ही डरा हुआ भी। बिलकिस के पति याकूब रसूल कहते हैं कि इस बारे में पता चलने के बाद से बिलकिस मायूस है। किसी से बात नहीं कर रही है। वह कुछ भी कहने की हालत में नही है। बिलकिस बानो के पति याकूब रसूल ने कहा था कि उनकी वजह से हम खौफ में जीते रहे। 15 घर बदल चुके हैं अब कहां जाएं।

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