वातानुकूलित लोकल को लेकर यात्रियों में बढ़ी गर्माहट

वातानुकूलित लोकल को लेकर यात्रियों में बढ़ी गर्माहट

राकांपा विधायक जितेंद्र आव्हाड की रेल प्रशासन को हिदायत, यात्रियों को समस्याओं को समझें। यात्रियों के गुस्से को आन्दोलन में बदलते देर नहीं लगेगी

योगेश पाण्डेय – संवाददाता 

मुंबई : मुंबई के उपनगरीय इलाके में पिछले कुछ दिनों से एसी लोकल का मामला तूल पकड़ने लगा है। रेलवे प्रशासन को साधारण लोकल कैंसिल करने और उसकी जगह एसी लोकल शुरू चलाने को लेकर यात्रियों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। ठाणे और बदलापुर में देखा गया है कि पिछले कुछ दिनों में यात्रियों का गुस्सा फूट पड़ा है। यात्री यह भी दावा कर रहे हैं कि साधारण लोकल रद्द होने से भीड़भाड़ बढ़ गई है, इसी पृष्ठभूमि में मुंबई के अन्य हिस्सों में भी एसी लोकल का विरोध शुरू हो गया है और कलवा-मुंब्रा से राकांपा विधायक जितेंद्र आव्हाड ने इस संबंध में अपना पक्ष रखते हुए रेल प्रशासन को गंभीर चेतावनी दी है। विधान भवन में पत्रकारों से बात करते हुए आव्हाड ने एसी लोकल के मुद्दे पर रेल प्रशासन पर जमकर निशाना साधा।

कुछ दिन पहले ठाणे-कलवा रेलवे स्टेशन पर यात्रियों ने जोरदार हंगामा किया था। साधारण लोकल रद्द होने और एसी लोकल ट्रिप के विस्तार के चलते यात्री आक्रामक हो गए। इन यात्रियों ने कलवा कार शेड से निकलते हुए एसी लोकल का रास्ता जाम कर दिया। ऐसा ही विरोध मंगलवार को बदलापुर रेलवे स्टेशन पर भी देखने को मिला।

इस संबंध में विधायक जितेंद्र आव्हाड ने रेल प्रशासन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मध्य रेलवे के पास आम यात्रियों के लिए न तो प्यार है और न ही स्नेह। मध्य रेलवे और पश्चिम रेलवे के उपनगरीय इलाकों से राजस्व देश में सबसे ज्यादा है।अब आप उन्हें परेशानी में डाल रहे हैं। आपने साधारण लोकल को रद्द कर दिया है और आप इसे एसी से बदल रहे हैं।

आव्हाड ने यह भी बताया कि 10 एसी लोकल ट्रेन 5700 यात्रियों को ले जाती है और एक साधारण लोकल 2700 यात्रियों को ले जाती है। फिर शेष यात्री किस ट्रेन में सवार होंगे? यात्रियों को इसका कोई विकल्प नहीं मिला है। जिसके चलते लोग फंसकर परेशान हो रहे हैं। लोग ट्रेनों में चढ़ नहीं पा रहे हैं। लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस आंदोलन की सबसे पहले कलवा में सूचना मिली थी। लेकिन अब यह पूरे मुंबई में फैलना शुरू हो गया है। क्योंकि जैसे-जैसे एसी की लोकल बढ़ती जा रही है लोगों का गुस्सा भी उतना ही बढ़ता जा रहा है, क्योंकि लोग इसे वहन नहीं कर सकते।

मूल सवाल यह है कि हमें आम जनता के बारे में सोचना चाहिए या नहीं। रेलवे को इस पर विचार करना होगा। जब कोई आंदोलन बिना नेतृत्व के शुरू होता है तो वह ज्यादा भयानक होता है। क्योंकि यह लोगों के दिलों में गुस्सा है। किसी राजनीतिक दल का आंदोलन राजनीतिक उद्देश्य को ध्यान में रखकर किया जा सकता है, लेकिन अगर लोग बिना किसी राजनीतिक नेता के, बिना किसी मकसद के अचानक रेलवे ट्रैक पर आ जाएं तो रेलवे को इस गुस्से को पहचानना चाहिए। आव्हाड ने रेल प्रशासन को सलाह दी है कि वे इस हंगामें को आन्दोलन में न बदलने दें।

उन्होंने कहा,इस संबंध में मैं पहले से ही मंत्रियों और अधिकारियों से बात कर रहा हूं। अगर यह स्थिति नहीं सुधरी तो मुंबई के हर स्टेशन पर यात्रियों के गुस्से को आग लग जाएगी। मैं अब मैदान में हूं, आम जनता की प्रतिक्रिया अप्रत्याशित है। मध्यम वर्ग विरोध करने के लिए सड़कों पर नहीं आता है। लेकिन जब वे सड़क पर दिखाई देते हैं, तो रेलवे को इस बात पर विचार करना चाहिए कि असुविधा कितनी व्यापक है। दो महीने में ट्रेन हादसों में 170 लोगों की मौत क्या लोगों की जिंदगी इतनी सस्ती हो गई है? यह एक अमानवीय कृत्य है। मुझे इस आंदोलन को प्रज्वलित करने की आवश्यकता नहीं है, लोगों के दिलों में विरोध की आग पहले से ही धधक रही है, जितेंद्र आव्हाड ने यह भी उल्लेख किया।

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