
विधानसभा अध्यक्ष शिवसेना से और विधान परिषद अध्यक्ष राकांपा का, इस पर भड़की कांग्रेस
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा हमारा गठबंधन स्वाभाविक और स्थायी नहीं था। बदलते परिपेक्ष में लिया गया था निर्णय
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई – महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की गठबंधन सरकार को सत्ता विमुख हुए अभी डेढ़ महीना भी नहीं बीता है, लेकिन कांग्रेस और शिवसेना में तकरार दिखने लगी है। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने शुक्रवार को कहा कि उद्धव ठाकरे की पार्टी के साथ उनका गठबंधन स्वाभाविक और स्थायी नहीं है। जिस समय शिवसेना से गठबंधन हुआ था, उस दौरान परिस्थितियां अलग थीं।
नाना पटोले ने विधान परिषद में विपक्ष के नेता के तौर पर शिवसेना के अंबादास दानवे की नियुक्ति पर भी नाराजगी व्यक्ति करते हुए कहा कि यह पद कांग्रेस को दिया जाना चाहिए था। राकांपा और शिवसेना ने मिलकर दोनों पद आपस में बांट लिए हैं।
शिवसेना ने हाल ही में अपनी पार्टी के अंबादास दानवे को विधान परिषद में विपक्ष का नेता नियुक्ति किया था। नाना पटोले ने आरोप लगाया कि कांग्रेस को विश्वास में लिए बिना यह फैसला लिया गया। पटोले ने कहा- विधानसभा में राकांपा की ओर से विपक्ष का नेता बनाया गया, जबकि परिषद के उपाध्यक्ष का पद शिवसेना को दिया गया है।
पटोले ने आगे कहा कि विपक्ष का नेता कांग्रेस की ओर से होना चाहिए था, लेकिन हमसे पूछे बिना फैसला लिया गया। हम इस मुद्दे को उठाएंगे। हम इस मामले पर शिवसेना से बात करने को तैयार हैं। अगर वे बात नहीं करना चाहते, तो यह उनकी चिंता है। हमने उनके साथ एक अलग स्थिति में गठबंधन किया था। यह हमारा स्वाभाविक या स्थायी गठबंधन नहीं है।
पटोले ने शिंदे और फडणवीस के नेतृत्व वाली नई सरकार पर भी जोरदार निशाना साधते हुए कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसियों और पैसे का इस्तेमाल कर भाजपा ने महाराष्ट्र में मविआ सरकार को गिराकर अपनी सरकार बना ली। साथ ही यह भी दावा किया कि यह सरकार लंबे समय तक नहीं टिक पाएगी।
पटोले ने कहा सरकार बनने के 39 दिन बाद मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। महाराष्ट्र में एक परंपरा है कि विभागों को तुरंत आवंटित किया जाता है, लेकिन अभी तक इस पर फैसला नहीं हुआ है। इससे पता चलता है कि दोनों पार्टियों के बीच बड़े मंत्रालयों को लेकर अंदरूनी लड़ाई चल रही है।