
केडीएमसी के कनिष्ठ अधिकारी वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश को भाव तक नहीं देते?
तीन बार आदेश जारी होने के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
एसीपी कार्यालय के पास अनाधिकृत निर्माण का मामला
एसएन दुबे
कल्याण- केडीएमसी के कनिष्ठ अधिकारी अपने निजी स्वार्थ के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश को मानना तो दूर उसे भाव तक नहीं देते। इसलिए आज सवाल उठाया जा रहा है कि केडीएमसी में प्रोटोकाल का कोई मतलब नहीं रह गया है। जिसका उदाहरण कल्याण पश्चिम में एसीपी कार्यालय से सटे जोशीबाग में एक अनाधिकृत निर्माण को तोड़ने के लिए तीन बार आदेश जारी किया जा चुका है बावजूद इसके वार्ड आफिसर अथवा सम्बंधित कनिष्ठ अधिकारी निजी स्वार्थ के लिए आंख-कान बंद कर बैठे हैं। सोमवार को मनपा मुख्यालय में पुनः अतिरिक्त आयुक्त को एक स्मरण पत्र देते हुए शिकायतकर्ता राजेश जसाणी ने बताया कि एसीपी ऑफिस से सटे गली में अवैद्य निर्माण की वजह से 19 व्यापारियों के अलावा स्थानिक रहिवाशियों का जीना हराम हो गया है। लोगों का बाथरूम जाना तक बंद हो गया है और लोग परेशान हैं फिर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। बतादें कि इस अनाधिकृत निर्माण को तोड़ने के लिए 10 नवम्बर 2016 को वार्ड आफिसर अरुण वानखेड़े ने 7 दिन के भीतर स्वयं तोड़ने के लिए मुकेश तन्ना नामक अवैद्य निर्माणकर्ता को नोटिस दिया था। उसके बाद 18 जून 2019 को केडीएमसी के उप आयुक्त सुनील जोशी ने 15 दिन के भीतर तोड़क कार्रवाई कर एमआरटीपीए दाखिल करने का लिखित आदेश दिया। उसके बावजूद भी कनिष्ठ अधिकारियों ने कोई भाव नहीं दिया। तीसरी बार फिर 12 जुलाई 2022 को कार्रवाई करने का निर्देश जारी हुआ लेकिन वार्ड ऑफिसर ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। लिहाजा परेशान व्यापारी राजेश जसाणी ने पुनः सोमवार 1अगस्त 2022 को स्मरण पत्र लिखकर केडीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त का ध्यान आकर्षित किया है।