
डोंबिवली का सड़क बना राजनीतिक अखाड़ा, श्रेय लेने की होड़ में जुटे मनसे और बीजेपी के विधायक…
शिवसेना सांसद के साथ विरोधियों की जुगलबंदी…
एसएन दुबे
कल्याण- डोंबिवली में सड़क की निधी को लेकर शिवसेना और मनसे की लड़ाई सड़क पर आ गई है और दोनों के लड़ाई का फायदा भाजपा उठाना चाहती है। दरअसल निधी तो एक बहाना है। इसके पीछे मनसे और भाजपा की चाल है और दोनों पार्टियां श्रेय लेने में जुटी हैं। कल्याण लोकसभा के सांसद डा.श्रीकांत शिंदे देश के कर्मठ एवं युवा सांसदों में गिने जाते हैं। उनके कार्य प्रणाली की प्रसंशा लोकसभा क्षेत्र के बाहर भी की जाती है। वहीं संपूर्ण राज्य में महाराष्ट्र नव निर्माण सेना का महज एक विधायक है। वह भी कल्याण ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से जिसके विधायक प्रमोद उर्फ राजु पाटील हैं। हाल ही में शिवसेना सांसद डा.श्रीकांत शिंदे के प्रयास से राज्य सरकार और नगरविकास मंत्रालय ने मिलकर कल्याण-डोंबिवली की सड़कों के लिए 360 करोड़ रुपए से अधिक का निधी मंजूर किया, जिसमें डोंबिवली के मानपाड़ा रोड़ के लिए 27 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। मनसे के विधायक राजु पाटील का कहना है कि मानपाड़ा रोड़ की निधी मेरे प्रयास से मंजूर हुआ है। यह बात सच है कि मनसे विधायक राजु पाटील ने सड़क के लिए पत्र व्यवहार किया था लेकिन हकीकत यह है कि सांसद डा.श्रीकांत शिंदे के अथक प्रयास और भागदौड़ के कारण राज्य सरकार ने कल्याण-डोंबिवली की सड़कों के लिए 360 करोड़ रुपए निधी मंजूर किया है। निधी मंजूर होने के बाद श्रेय लेने के लिए मनसे के विधायक राजु पाटील और डोंबिवली के भाजपा विधायक रविंद्र चव्हाण बीच में कूद पड़े और अब दोनों अपना कुटिल चाल चल रहे हैं। इसके पहले भाजपा की सरकार थी और रविंद्र चव्हाण सरकार में मंत्री भी थे लेकिन उस दौरान उन्हें कभी कल्याण या डोंबिवलीकरों की समस्या दिखाई नहीं दी। अब जब सत्ता चली गई तो श्रेय लेने के लिए भाजपा विधायक चव्हाण भी कूद पड़े हैं। मनसे तथा भाजपा में श्रेय लेने की होड़ मची है। कल्याण और डोंबिवली की जनता सब जानती है। कोरोना काल में दो बार कोविडग्रस्त होने के बावजूद भी रात दिन एक करके शिवसेना सांसद डा.श्रीकांत शिंदे ने पतरीपुल का निर्माण कार्य पूरा कराकर जनता को समर्पित किया। अब डोंबिवली और निलजे पुल के निर्माण में लगे हुए हैं। कोरोना काल में फंसे 1400 विद्यार्थियों को दिल्ली से मुंबई लाने वाले श्रीकांत शिंदे देश के पहले सांसद हैं जो सरकार के पीछे पड़कर विद्यार्थियों को सही सलामत मुंबई लाया और उनके अभिभावकों को सुपुर्द किया। अब उन्हीं के साथ राजनीतिक खेल खेला जा रहा है जिसे अब तक का सबसे कर्मठ सांसद माना जाता है।